नैतिक मूल्यों को प्रोत्साहन देकर बचपन से ही हम ऐसे युवाओं को तैयार कर सकते हैं ।
आज यदि गौर से सबसे अधिक इन्हीं बातों की कमी जान पड़ती है।
सोचने विचारने का समय आ गया हैं अब।
भारतवर्ष एक नैतिक राष्ट्र की सूची में प्रथम स्थान कभी रख चुका है लेकिन आज समय बदल गया है हमें सामाजिक मूल्यों को बनाए रखना एक अहम चुनौती जान पड़ती है।
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